हाल ही में The Armed Forces special power Act(AFSPA) चर्चा में क्यों है ?

 

क्या है AFSPA कानून?

पूर्वोत्तर में बढ़ते अलगाववाद की समस्या को देखते हुए और सेना को कार्रवाई में मदद के लिए भारतीय संसद के द्वारा  11 सितंबर 1958 को आर्म्ड फ़ोर्सेज़ स्पेशल पावर एक्टअर्थात AFSPA  पारित किया गया था।                         

what is AFSPA Act ?
AFSPA

कश्मीर घाटी में आतंकवादी घटनाओं में बढोतरी होने के बाद जुलाई 1990 में यह विधि सशस्त्र बल (जम्मू एवं कश्मीर) विशेष शक्तियाँ अधिनियम, 1990 के रूप में जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया गया  


सैन्‍य बलों को प्राप्त विशेषाधिकार :- 

  • AFSPA के तहत सशस्त्र बलों को कहीं भी अभियान चलाने और बिना पूर्व वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त है
  • इस एक्ट के द्वारा किसी क्षेत्र में धार्मिक, नस्लीय, भाषायी तथा समुदायों के बीच विवाद के कारण इसे राज्य अथवा केंद्र सरकार द्वारा अशांत घोषित किया जा सकता है। 
  • इस एक्ट के द्वारा सशस्त्र बलों, राज्य व केन्द्रीय पुलिस बल को उग्रवादियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही संपत्ति या घर को नष्ट करने, छानबीन करने और गोली मारने का अधिकार दिया गया है। 
  • इस अधिनियम में सुरक्षा बलों को दुर्भावनापूर्ण व महत्त्वहीन मुकद्दमे से भी सुरक्षा प्रदान की गयी है। 
  • इसके लिए संविधान में प्रावधान किया गया है और अशांत क्षेत्र क़ानून यानी डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट मौजूद है जिसके अंतर्गत किसी क्षेत्र को अशांत घोषित किया जाता है।  

  • जिस क्षेत्र को अशांत घोषित कर दिया जाता है वहां पर ही AFSPA क़ानून लगाया जाता है और इस क़ानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं । 

हाल ही में चर्चा के कारण :- 

हाल ही में नागालैंड में सुरक्षा सेना बल के असम राइफल्स को खबर मिली की म्यमांर से भारतीय क्षेत्र में चरमपंथी लोगो घुसपैठ करने वाले है , जिसके वजह से असम राइफल्स  ने नागालैंड - म्यमांर बॉडर पर सुरक्षा बढ़ा दी। उसी समय कोल् माइन से भरा एक ट्रक आ  रहा था जिस से असम राइफल्स  सेना  लगा की यह चरमपंथी लोग आ रहे है और उन पर  गोली से फायरिंग कर दी।  जिस में 14 आम लोगो की मौत हो गयी।  जिस के कारण वह के लोगो में सेना के प्रति असंतोष का माहौल है। वहां के लोगो द्वारा कई आग जानी की घटना की गयी , जिस से राज्य असंतोष का माहौल है।  कई लोगो द्वारा यह सवाल उठया जा रहा है की क्या सेना को इतना अधिकार देना चाहिए की आम नागरिको  अधिकारों को सेना के अधिकार के सामने नगण्य हो जाए।  

AFSPA का विरोध :- 

इरोम शर्मिला इस कानून का विरोध करने वालों में मणिपुर की कार्यकर्ता इरोम शर्मिला का नाम प्रमुख है, जो इस कानून के खिलाफ 16 वर्षों से उपवास पर धारा.3 ये स्पष्ट नही करती है कि किस आधार पर किसी क्षेत्र को अशाँत घोषित किया जाएगा । फिलहाल इरोम शर्मीला अपने पती के साथ बैंगलोर में रहती हैं। 







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